सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की अंतरिक्ष से वापसी: बड़ी चुनौतियां और देरी के पीछे की सच्चाई
अंतरिक्ष में करीब दस महीने बिताने के बाद, भारतीय मूल की प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विलमोर आखिरकार पृथ्वी पर लौटने की तैयारी में हैं। हालांकि, यह वापसी आसान नहीं होगी, क्योंकि पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के साथ अनुकूलन करने में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
अंतरिक्ष से लौटने की मुश्किलें
नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री लेरॉय चियाओ के अनुसार, अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के कारण ‘बेबी फीट’ नामक एक अनोखी समस्या होती है। भारहीनता की वजह से, पैरों की कठोर त्वचा कमजोर हो जाती है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को संतुलन बनाए रखने में कठिनाई होती है।
अंतरिक्ष से लौटने के बाद, कई यात्रियों को चक्कर आना, मतली और उल्टी जैसी समस्याएं भी होती हैं। खगोलविद टेरी वर्ट्स ने इस अनुभव की तुलना फ्लू से की है, जहां शरीर को पूरी तरह सामान्य होने में कई हफ्ते लग सकते हैं।
देरी क्यों हुई?
सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर को महज आठ दिनों के अभियान के लिए भेजा गया था, लेकिन बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण उन्हें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अधिक समय तक रहना पड़ा।
इस देरी से न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा, बल्कि राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया। डोनाल्ड ट्रंप और एलोन मस्क ने इसके लिए बाइडेन प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया, यह आरोप लगाते हुए कि नासा ने उन्हें समय पर वापस लाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए।
अब क्या होगा?
नासा ने घोषणा की है कि क्रू-1 मिशन को 12 मार्च को लॉन्च किया जाएगा, जिसके बाद सुनीता और विलमोर 7 मार्च को स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल के जरिए घर लौटेंगे।
अब सभी की निगाहें इस मिशन पर टिकी हैं कि आखिर उनकी वापसी कितनी सफल होगी और क्या वे बिना किसी परेशानी के पृथ्वी पर उतर पाएंगे। 🚀