भारत के कई गांवों और मंदिरों में साल भर मेले लगते हैं, जहां दिन-रात गहमागहमी रहती है और रात में भी लोगों की भीड़ कम नहीं होती। लेकिन मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के वीरपुर तहसील क्षेत्र में स्थित एक गांव ऐसा है, जहां साल में एक बार ही मंदिर का मेला लगता है। यहां एक विशेष बात है कि रात में कोई भी व्यक्ति रुकने की हिम्मत नहीं करता।
मंदिर का स्थान और मेला
श्योपुर जिला मुख्यालय से लगभग 108 किलोमीटर दूर, श्यामपुर और जमुर्दी ग्राम पंचायत के बीच चंबल नदी के किनारे देवी पार्वती का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। इस मंदिर में हर साल भादो माह की अमावस्या के बाद पहले सोमवार को बड़ा मेला लगता है। इस दिन हजारों नहीं बल्कि लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए जुटते हैं। दिनभर मेला भव्य रूप से सजता है, दुकानें सज जाती हैं, लेकिन रात की आरती होते ही मंदिर का वातावरण पूरी तरह से वीरान हो जाता है। रात के समय आरती के बाद यहाँ कोई भी व्यक्ति रुकने की हिम्मत नहीं करता।
मंदिर की स्थापना की कहानी
स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, सैकड़ों साल पहले एक चरवाहे को चंबल घाटी में मवेशी चराते समय एक मूर्ति मिली। जब चरवाहे ने मूर्ति को उठाया, तो मूर्ति ने कहा, “तुम मुझे ले जा रहे हो, मैं तुम्हारे साथ चलूंगी, लेकिन जहाँ भी तुम मुझे रखोगे, मैं वहीं रुक जाऊँगी।” चरवाहे ने मूर्ति की बात मान ली और उसे अपने कंधे पर रख लिया। जब चरवाहा जमुदी गांव के पास पहुँचा, तो उसे प्यास लगी और उसने मूर्ति को कुएं के पास रख दिया। जब वह पानी पीने लगा, तब मूर्ति वहीं स्थापित हो गई और वहाँ से हिलने का नाम नहीं लिया। उस समय लुटेरों की वजह से घाटी में कोई भी नहीं जाना चाहता था, इसलिए मूर्ति वहीं स्थिर रही।
स्थानीय कथा
दुवावली गांव के निवासी गौरी चरण शर्मा बताते हैं कि राजस्थान के एक अमीर व्यक्ति के इकलौते बेटे की सांप के काटने से मृत्यु हो गई। शव को चंबल नदी में प्रवाहित कर दिया गया। जब शव तैरता हुआ जमुर्डी गांव पहुंचा, तो माता ने पुजारी को स्वप्न में आकर आदेश दिया कि शव को मंदिर में लाकर पुनर्जीवित किया जाए। जैसे ही शव को मंदिर में लाया गया और उस पर पानी छिड़का गया, वह जीवित हो उठा। इस घटना की खबर जब पिता तक पहुंची, तो उन्होंने अपार धन-संपत्ति लेकर वहां आकर माता का मंदिर बनवाया और शेष धन कुएं में फेंक दिया। तब से, यदि किसी को सांप या बिच्छू काटता है, तो देवी पार्वती के नाम पर विभूति का जाप करने से व्यक्ति की मृत्यु नहीं होती है। इसके अलावा, जो भक्त माता के मंदिर में मन्नत मांगते हैं, उनकी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
रात को रुकने से जुड़ी मान्यता
लोगों के अनुसार, यदि कोई रात में यहाँ रुकने की कोशिश करता है, तो उसकी जिंदगी को खतरा हो सकता है। ऐसा कहा जाता है कि रात के समय मंदिर में भूत-प्रेत, जिन्न, सांप, बिच्छू, और अन्य जानवर देवी के दर्शन के लिए आते हैं। इनसे सामना होने पर इंसान को जीवित नहीं छोड़ा जाता। इसलिए, रात में यहां कोई भी व्यक्ति रुकने की हिम्मत नहीं करता।