जब से Google ने एंड्रॉइड फोन में नई फोटो स्कैनिंग तकनीक जोड़ी है, कंपनी को भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। कई उपयोगकर्ताओं और विशेषज्ञों ने Google पर बिना अनुमति के “चुपचाप” एंड्रॉइड डिवाइसों पर एक नई निगरानी प्रणाली इंस्टॉल करने का आरोप लगाया है।
क्या है पूरा मामला?
Forbes की एक रिपोर्ट के मुताबिक, Google का कहना है कि SafetyCore एक सक्रिय संरचना (framework) है, लेकिन यह अपने आप में किसी भी फोटो या कंटेंट को स्कैन करना शुरू नहीं करता। Google ने स्पष्ट किया कि नया सिस्टम केवल एक ऑन-डिवाइस इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिसका मकसद उपयोगकर्ताओं को अवांछित और हानिकारक सामग्री से सुरक्षित रखना है। स्कैनिंग केवल तभी होती है जब कोई एप्लिकेशन इस फीचर को वैकल्पिक रूप से सक्षम करता है।
कहां से शुरू हुआ विवाद?
9to5Google की एक रिपोर्ट के अनुसार, विवाद की शुरुआत Google Messages ऐप में एक नए फीचर के लॉन्च से हुई। यह फीचर संवेदनशील सामग्री के लिए चेतावनी देता है, जैसे कि अश्लील चित्र, और उपयोगकर्ताओं को स्पष्ट कंटेंट देखने या उसे ब्लॉक करने का विकल्प देता है।
Google का दावा है कि:
- स्कैनिंग पूरी तरह से डिवाइस पर होती है।
- स्कैन की गई जानकारी Google को वापस नहीं भेजी जाती।
- इस प्रक्रिया का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा है, न कि जासूसी करना।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
GrapheneOS, जो एक सुरक्षित एंड्रॉइड सिस्टम विकसित करता है, ने Google के दावों का समर्थन करते हुए कहा कि SafetyCore क्लाइंट-साइड स्कैनिंग के लिए उपयोग नहीं किया जाता है और यह Google या किसी अन्य को सामग्री की रिपोर्टिंग नहीं करता।
हालांकि, GrapheneOS ने यह भी अफसोस जताया कि SafetyCore एक ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट नहीं है और इसकी पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तकनीक को Android Open Source Project (AOSP) का हिस्सा बनाकर ओपन-सोर्स नहीं किया गया,” GrapheneOS ने कहा।
चिंता क्यों बढ़ रही है?
- उपयोगकर्ता डेटा की गोपनीयता को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।
- यदि स्कैनिंग सिस्टम पारदर्शी नहीं है, तो इसका दुरुपयोग संभावित रूप से संभव है।
- एंड्रॉइड एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म होने के बावजूद, इस नए फीचर की सीमित जानकारी और बंद-सिस्टम मॉडल ने अविश्वास पैदा कर दिया है।
निष्कर्ष
Google भले ही यह दावा कर रहा हो कि उसका SafetyCore सिस्टम केवल उपयोगकर्ता सुरक्षा के लिए है और किसी भी निजी जानकारी को बाहर नहीं भेजता, लेकिन पारदर्शिता की कमी ने उपयोगकर्ताओं और तकनीकी विशेषज्ञों के बीच संदेह पैदा कर दिया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि Google इस नई तकनीक के प्रति बढ़ते अविश्वास को कैसे संबोधित करता है।