समाचार एजेंसी PTI ने बताया कि मणिपुर के कांगपोकपी जिले में शनिवार (8 मार्च) को हिंसा भड़क उठी जब कुकी प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच तीखी झड़प हो गई। इस संघर्ष में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि महिलाओं और पुलिसकर्मियों सहित 40 से अधिक लोग घायल हो गए। हालात उस समय बिगड़ गए जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
कैसे भड़की हिंसा?
यह झड़प तब शुरू हुई जब प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस निर्देश का विरोध किया, जिसमें मणिपुर में स्वतंत्र आवाजाही की अनुमति दी गई थी। इस आदेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने सख्ती दिखाई, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
मृतक की पहचान: पुलिस के अनुसार, मृतक का नाम लालगौथंग गाने था, जो 30 वर्षीय व्यक्ति था। कीथेलमैनबी इलाके में हुई झड़प के दौरान उसे गोली लगी और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।
प्रदर्शनकारियों का उग्र रूप
पुलिस ने जानकारी दी कि प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी की, जिससे कई पुलिसकर्मियों को चोटें आईं। हालात और बिगड़ गए जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने निजी वाहनों में आग लगा दी और इम्फाल से सेनापति जिले की ओर जाने वाली राज्य परिवहन बस को रोकने का प्रयास किया।
इसके अलावा, गमगिफ़ाई, मोटबंग और कीथेलमैनबी इलाकों में भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 16 प्रदर्शनकारी घायल हो गए। सभी घायलों को नजदीकी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
राजमार्ग अवरुद्ध: प्रदर्शनकारियों ने NH-2 (इम्फाल-दीमापुर राजमार्ग) को अवरुद्ध कर दिया और सरकारी वाहनों की आवाजाही रोकने के लिए टायर जलाए। सेकमई क्षेत्र में करीब 10 वाहनों के मार्च को भी सुरक्षा बलों ने आगे बढ़ने से रोक दिया। पुलिस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों के पास इस मार्च के लिए अनुमति नहीं थी, इसलिए उन्हें रोका गया।
अमित शाह के नए निर्देशों से बढ़ा विवाद
हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की सुरक्षा स्थिति को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की थी। उन्होंने आदेश दिया कि 8 मार्च 2025 से राज्य में सभी सड़कों पर नागरिकों की स्वतंत्र आवाजाही सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि कोई भी व्यक्ति अगर इस आदेश में बाधा डालने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
सीमा सुरक्षा पर कड़ा रुख: शाह ने यह भी कहा कि मणिपुर की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर प्रवेश बिंदुओं के दोनों किनारों पर जल्द से जल्द बाड़ लगाई जाए, ताकि अवैध घुसपैठ को रोका जा सके। उन्होंने राज्य को ‘ड्रग-फ्री’ बनाने की प्रतिबद्धता जताते हुए नशीली दवाओं के व्यापार में शामिल पूरे नेटवर्क को खत्म करने का आदेश दिया।
मणिपुर में हिंसा का कारण क्या है?
मणिपुर में जातीय हिंसा कोई नई बात नहीं है। मई 2023 में शुरू हुई झड़पें अब भी जारी हैं। इसका मुख्य कारण मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने को लेकर हुआ विवाद है।
जातीय समीकरण:
- मैतेई समुदाय: मणिपुर की कुल आबादी का 53% हिस्सा मैतेई समुदाय का है, जो मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में रहते हैं।
- आदिवासी समुदाय: इसमें नागा और कुकी जनजातियां शामिल हैं, जो लगभग 40% आबादी का हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं।
आगे क्या?
मणिपुर की स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। सरकार शांति बहाल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन जमीनी हालात में सुधार होता नहीं दिख रहा है।
क्या अमित शाह के नए आदेश से मणिपुर में शांति लौटेगी, या विरोध प्रदर्शन और हिंसक रूप ले लेंगे? यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।