🦟 डेंगू का बढ़ता खतरा: भारत में जलवायु परिवर्तन से 2025 में डेंगू मामलों में भारी वृद्धि
📊 डेंगू के मामलों में वृद्धि
2025 में भारत में डेंगू के मामलों में भारी वृद्धि देखी गई है। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (NCVBDC) के अनुसार, 2010 में 28,066 मामलों से बढ़कर 2023 में 2.89 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए। 19 मार्च 2025 तक, 16,000 से अधिक मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं, जो इस वर्ष की शुरुआत में ही चिंता का विषय है।
🌍 जलवायु परिवर्तन और डेंगू का प्रसार
जलवायु परिवर्तन डेंगू के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बढ़ते तापमान और अनियमित वर्षा के कारण मच्छरों के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बन रही हैं, जिससे डेंगू का खतरा नए क्षेत्रों में फैल रहा है। जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसे उत्तरी भारतीय राज्यों में अब नियमित प्रकोप देखे जा रहे हैं, जो पारंपरिक “डेंगू बेल्ट” के विस्तार का संकेत है।
🏥 विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि डेंगू का प्रबंधन करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। आकाश हेल्थकेयर के डॉ. विक्रम जीत सिंह के अनुसार, “जलवायु परिवर्तन के कारण भारत के अधिक हिस्से मच्छर प्रजनन के लिए उपयुक्त होते जा रहे हैं। उच्च तापमान मच्छर प्रजनन चक्रों को गति देता है और मच्छरों के शरीर के अंदर तेजी से डेंगू वायरस को बढ़ाने में मदद करता है।”
🛡️ रोकथाम के उपाय
डेंगू से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- मच्छरदानी और विंडो स्क्रीन का उपयोग करें।
- पानी के भंडारण कंटेनरों को ढक कर रखें।
- घर के आसपास पानी के ठहराव को रोकें।
- मच्छर खाने वाली मछलियों को तालाबों और टैंकों में छोड़ें।
- नियमित रूप से फॉगिंग और एंटी-लार्वा ड्राइव्स आयोजित करें।
🤝 सरकारी और निजी क्षेत्र की भागीदारी
सरकार और निजी क्षेत्र के बीच मजबूत साझेदारी नियंत्रण उपायों के प्रभाव को बढ़ा सकती है। व्यवसाय सामुदायिक क्लीन-अप अभियानों, सार्वजनिक जागरूकता ड्राइव्स का समर्थन कर सकते हैं, या कम लागत वाले मच्छर नियंत्रण उत्पादों को वितरित करने में मदद कर सकते हैं।
🧠 डेंगू और न्यूरोलॉजिकल जोखिम
फोर्टिस अस्पताल के डॉ. प्रवीण गुप्ता ने जोर देकर कहा कि डेंगू के राष्ट्रव्यापी प्रसार, जलवायु परिवर्तन से प्रवर्धित, न केवल बुखार, बल्कि एन्सेफलाइटिस, जब्ती और गुइलेन-बैरे सिंड्रोम जैसे गंभीर न्यूरोलॉजिकल जोखिम भी लाता है। जैसे-जैसे मामले साल भर बढ़ जाते हैं, प्रारंभिक निदान और जागरूकता महत्वपूर्ण होती है।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: डेंगू के लक्षण क्या हैं?
उत्तर: डेंगू के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मतली, उल्टी, त्वचा पर चकत्ते और हल्का रक्तस्राव शामिल हैं।
प्रश्न 2: डेंगू कैसे फैलता है?
उत्तर: डेंगू एडीस मच्छरों के काटने से फैलता है, जो संक्रमित व्यक्ति से वायरस लेकर स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं।
प्रश्न 3: डेंगू से बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तर: मच्छरदानी का उपयोग, पानी के ठहराव को रोकना, मच्छर भगाने वाले उत्पादों का उपयोग और नियमित सफाई जैसे उपाय डेंगू से बचाव में मदद कर सकते हैं।
प्रश्न 4: डेंगू का इलाज कैसे किया जाता है?
उत्तर: डेंगू का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है, जैसे कि बुखार कम करने के लिए दवाएं और पर्याप्त तरल पदार्थों का सेवन।
प्रश्न 5: डेंगू के कौन से प्रकार होते हैं?
उत्तर: डेंगू वायरस के चार प्रकार होते हैं: DENV-1, DENV-2, DENV-3, और DENV-4। एक बार किसी एक प्रकार से संक्रमित होने के बाद, अन्य प्रकारों से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
प्रश्न 6: क्या डेंगू से मृत्यु हो सकती है?
उत्तर: हाँ, गंभीर मामलों में डेंगू से मृत्यु हो सकती है, विशेष रूप से जब यह डेंगू हेमोरेजिक फीवर या डेंगू शॉक सिंड्रोम में बदल जाता है।
🔚 निष्कर्ष
भारत में डेंगू का बढ़ता खतरा एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है, जो जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान के कारण और भी जटिल हो गया है। समय पर जागरूकता, रोकथाम के उपाय और सरकारी-निजी साझेदारी के माध्यम से ही हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं।