तमिलनाडु के CM स्टालिन का PM मोदी पर आरोप: कचथीवु और मछुआरों के मुद्दे को नजरअंदाज करना बताया ‘निराशाजनक’
नई दिल्ली: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने तमिलनाडु की वर्षों पुरानी मांगों को बार-बार अनदेखा किया है—खासकर कचथीवु द्वीप की पुनर्प्राप्ति और मछुआरों की रिहाई जैसे अहम मुद्दों को।
🧭 कचथीवु विवाद फिर चर्चा में
तमिलनाडु विधानसभा में बोलते हुए स्टालिन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में श्रीलंका यात्रा के दौरान न तो कचथीवु द्वीप के मुद्दे को उठाया और न ही कैद मछुआरों की रिहाई पर कोई ठोस कदम उठाया।
“यह केवल यह दर्शाता है कि तमिलनाडु की मांग को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है। यह स्थिति न सिर्फ अफसोसजनक है, बल्कि अत्यंत निराशाजनक भी है,” स्टालिन ने तीखा बयान देते हुए कहा।
🚢 मछुआरों के हक की लड़ाई में राज्य सरकार आगे
CM स्टालिन ने कहा कि केंद्र सरकार की निष्क्रियता के बावजूद, राज्य सरकार मछुआरों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने घोषणा की कि रामेश्वरम के पास थंगचिमडम में एक नया मछली पकड़ने का बंदरगाह स्थापित किया जाएगा।
📜 तमिलनाडु विधानसभा का प्रस्ताव
बीते हफ्ते तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें 1974 और 1976 के भारत-श्रीलंका समझौतों के तहत श्रीलंका को सौंपे गए कचथीवु द्वीप को भारत में पुनः शामिल करने की मांग की गई।
प्रस्ताव में केंद्र सरकार से यह भी आग्रह किया गया कि वह श्रीलंका सरकार से बातचीत कर:
- कैद भारतीय मछुआरों और उनकी नौकाओं की रिहाई सुनिश्चित करे
- पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकारों की सुरक्षा के लिए स्थायी समाधान लाए
🌐 राजनीतिक महत्व और भू-राजनीतिक असर
कचथीवु मुद्दा सिर्फ एक द्वीप का सवाल नहीं है, यह तमिल मछुआरों की आजीविका, समुद्री अधिकारों और भारत-श्रीलंका संबंधों का भी प्रतीक है। स्टालिन का बयान आने वाले समय में राजनीतिक बहस को और तेज़ कर सकता है, खासकर जब आम चुनाव करीब हैं।