जाति प्रथा ये भीमा राव ही थे जिन्होंने एक गहरे काल में बहुत पीड़ा और अपमान झेलने के बाद जाति व्यवस्था के भूत को हराया था। समाज में व्याप्त ऊंच-नीच का भेदभाव तलवार से लड़कर दूर नहीं किया जा सकता। वह एक बहादुर व्यक्ति थे जिन्होंने दुनिया को दिखाया कि केवल शिक्षा के माध्यम से क्या संभव है। समानता का मंत्र देने वाले डाॅ. बीआर अंबेडकर को एक समाज सुधारक, शिक्षाविद्, न्यायविद्, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और विधिवेत्ता के रूप में जाना जाता है। अम्बेडकर, जो भारतीय संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे, ने देश के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया।
अम्बेडकर जयंती का इतिहास
डॉ. बीआर अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था। समाज में उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती, भीम जयंती या समानता दिवस मनाया जाता है। 2015 से, इस दिन को पूरे भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है।
अम्बेडकर जयंती का महत्व
आजादी के कई साल बीत जाने के बावजूद जाति आधारित भेदभाव आज भी खत्म नहीं हुआ है। लेकिन यह कहा जा सकता है कि उस समय जो जातिगत भेदभाव था, वह कुछ हद तक कम हो गया है। इसका मूल कारण डॉ. बीआर अंबेडकर हैं। उन्हें एक बहादुर व्यक्ति के रूप में याद किया जाना चाहिए जिन्होंने संविधान बनाया जिसने देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार प्रदान किए। इस प्रकार देश की जनता के लिए उनके योगदान को याद करने का काम उनके जन्मदिन पर किया जाता है। देश के कई हिस्सों में अंबेडकर जयंती मनाने के अलावा कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।