पिता के न रहने के साथ-साथ परिवार उनकी मानसिक रूप से बीमार मां और बुजुर्ग दादा पर निर्भर है।
भंगुर पेंटिंग और अडिग भावना अच्छे भाग्य की दो आधारशिलाएं हैं और अभिजीत रॉय की सफलता इसका प्रमाण है। मालदा के बहुत अमीर परिवार के अभिजीत ने जेईई में 191वीं रैंक हासिल करके एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है, जिससे उन्हें प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर में खेल का मैदान मिल गया है।
अभिजीत के लोग मालदा में एक खूबसूरत, तंग जगह में रहते हैं। पिता के न रहने के साथ-साथ परिवार उनकी मानसिक रूप से बीमार मां और बुजुर्ग दादा पर निर्भर है। उनके दादा उनकी मदद के लिए इलेक्ट्रिक रिक्शा चलाते हैं। उन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, अभिजीत अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, अपने शोध में लगे रहे।
आईआईटी खड़गपुर में प्रवेश पाना अभिजीत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो दर्शाता है कि रसहीन कार्य और दृढ़ संकल्प किसी भी बाधा पर विजय प्राप्त कर सकता है।
स्थानीय नागरिकों और मित्रों ने उनकी सफलता की सराहना की है और अपने लोगों की सहायता के लिए आगे बढ़े हैं। कई संगठनों और व्यक्तियों ने अभिजीत को उनके शोध और समय की मांग वाली स्थितियों में समर्थन देने के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान की है।
अभिजीत ने कहा कि उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य पर डटे रहे। उनकी कहानी एक प्रभावशाली संदेश देती है: अशुभ परिस्थितियों में भी, किसी को कभी हार नहीं माननी चाहिए।