पारंपरिक खेती से आगे बढ़ते हुए नवाचार की ओर
थोराट के पास पांच एकड़ की मुरमाड भूमि थी, लेकिन पारंपरिक फसलों से लाभ कमाना मुश्किल था। खेती को लाभदायक बनाने के लिए उन्होंने Google और YouTube के माध्यम से आधुनिक कृषि तकनीकों का अध्ययन किया। इसी खोज के दौरान उन्हें एवोकाडो की खेती के बारे में जानकारी मिली, जो भारत में कम प्रचलित लेकिन अत्यधिक लाभदायक थी।
विदेश से रोपाई मंगवाकर किया प्रयोग
थोराट ने शुरुआत में अमेरिका और बेंगलुरु से 55 एवोकाडो के पौधे मंगवाए। उन्नत कृषि तकनीकों और आधुनिक प्रबंधन के जरिए उन्होंने धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ाकर 300 कर दी। आज, उनकी एक एकड़ भूमि से उन्हें 10 लाख रुपये से अधिक की आय हो रही है, जिससे उन्होंने अपने लिए सफलता का नया रास्ता बनाया है।
एवोकाडो खेती का वैज्ञानिक तरीका
- मिट्टी की तैयारी:
खेती से पहले मिट्टी को जैविक उर्वरकों, केंचुआ खाद और संतुलित रासायनिक उर्वरकों से उपजाऊ बनाया जाता है। - फसल चक्र और देखभाल:
- पेड़ों को फल देने में लगभग छह महीने लगते हैं।
- फसल कटाई का समय जून-जुलाई होता है।
- साल में केवल एक बार उत्पादन होता है, लेकिन बाजार में इसकी उच्च मांग के कारण अच्छी कीमत मिलती है।
विदेश से पौधे मंगवाने की चुनौती और समाधान
एवोकाडो के पौधे और बीज सीधे अमेरिका से आयात करना मुश्किल था। इस समस्या का हल निकालते हुए, थोराट ने अपने एक उद्यमी मित्र की मदद से एक रणनीति बनाई। उन्होंने अमेरिका के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से एवोकाडो के पौधे बेंगलुरु मंगवाए और वहां से उन्हें बीड में लाकर लगाया। बाद में, उन्होंने खुद नए पौधों की नर्सरी तैयार करना शुरू किया, जिससे वे स्थानीय किसानों को भी उपलब्ध करा सकें।
डिजिटल युग में खेती की शिक्षा
2017 में, थोराट ने डिजिटल साधनों का उपयोग करके विभिन्न देशों की कृषि तकनीकों का अध्ययन किया। खासतौर पर उन्होंने इज़राइल में एवोकाडो की खेती के बारे में गहन शोध किया, जहां अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
छोटे से शुरुआत, बड़ी सफलता
- 2018 में उन्होंने बैंगलोर से 50 पेड़ मंगवाकर अपनी खेती की शुरुआत की।
- 2021 में पहली बार फसल से उन्हें 3-4 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ।
- 2024 तक उन्होंने अपनी खेती का विस्तार कर 300 से अधिक पेड़ लगाए, जिससे उनकी वार्षिक आय 10 लाख रुपये से अधिक हो गई।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
थोराट की सफलता ने कई अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है। वे पारंपरिक खेती से हटकर नवाचार और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं। आने वाले वर्षों में, यह प्रयोग भारत में कृषि क्षेत्र को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।