रे-बैन मेटा के स्मार्ट चश्मे जल्द ही भारत में लॉन्च होने वाले हैं। ये चश्मे लाइव ट्रांसलेशन, इंस्टाग्राम मैसेजिंग और एआई के साथ हाथों से मुक्त डिजिटल अनुभव प्रदान करते हैं। क्या ये स्मार्टफोन की जगह ले सकते हैं? और हमारी गोपनीयता और सुरक्षा पर क्या असर पड़ेगा?
स्मार्ट चश्मे के रोमांचक पहलू
स्मार्ट चश्मे, जो एआई-संचालित होते हैं, वास्तविक समय के अनुवाद, गेमिंग, नेविगेशन और अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। ये चिकित्सा क्षेत्र, गेमिंग और शिक्षा में भी मदद कर रहे हैं। जैसे कि, Microsoft Hololens सर्जनों को रोगी डेटा ओवरले करके मदद करता है।
कैसे काम करते हैं स्मार्ट चश्मे?
ये चश्मे संवर्धित वास्तविकता (AR) पर काम करते हैं, जो डिजिटल तत्वों को वास्तविक दुनिया में ओवरले करते हैं। इन चश्मों में बिल्ट-इन कैमरा, माइक्रोफोन, स्पीकर और सेंसर होते हैं, जो स्मार्टफोन से ब्लूटूथ या वाई-फाई से जुड़े होते हैं।
स्मार्ट चश्मों का बाजार
वैश्विक स्मार्ट चश्मा बाजार 2024 में $18.6 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है और 2033 तक $53.6 बिलियन तक बढ़ने की संभावना है।
क्या ये स्मार्टफोन को बदल सकते हैं?
मार्क जुकरबर्ग का मानना है कि स्मार्ट चश्मे स्मार्टफोन की जगह ले सकते हैं, लेकिन यह 10-20 साल का समय ले सकता है, जैसा कि स्मार्टवॉच ने फोन को पूरक किया है।
सुरक्षा और गोपनीयता चिंता
स्मार्ट चश्मों के जरिए गुप्त रिकॉर्डिंग, डेटा लीक और चेहरे की पहचान के दुरुपयोग जैसी चिंताएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, इन चश्मों पर सुरक्षा उपायों को लागू किया जा रहा है, जैसे कि रिकॉर्डिंग के दौरान दृश्य संकेतक और डेटा एन्क्रिप्शन।