बुलढाणा: अगले महीने होने वाले विधान परिषद चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने काम शुरू कर दिया है. आगामी विधानसभा चुनाव में सियासी गणित का रखें ध्यान विधान परिषद चुनाव 2024 उम्मीदवार तय किये जायेंगे. इसलिए विधान परिषद के लिए उम्मीदवारों का चयन एक बेहद अहम मुद्दा रहने वाला है. लोकसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय का मतदान निर्णायक रहा. मुस्लिम वोट बैंक के एकजुट होकर महा विकास अघाड़ी के पीछे खड़े होने से महागठबंधन को नुकसान हुआ। इसी को ध्यान में रखते हुए अजित पवार कैंप ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है.
आगामी विधान परिषद चुनाव में अजित पवार की पार्टी एनसीपी को दो सीटें मिलने से ऐसी संभावना है कि अजित पवार खेमे की ओर से विदर्भ से एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा जाएगा. इसके मुताबिक एनसीपी सूत्रों ने संभावना जताई है कि पिछले दस सालों से सबसे मजबूत दावेदार माने जाने वाले बुलढाणा एनसीपी जिला अध्यक्ष नजर काजी को उम्मीदवार घोषित किया जाएगा. इसके मुताबिक अजित पवार ने नजीर काजी को सोमवार को मिलने के लिए बुलाया है, ये बात खुद काजी ने “एबीपी माझा” को बताई.
नजीर काजी अजित पवार के पसंदीदा नेताओं में से एक माने जाते हैं. वह पिछले दस वर्षों से बुलढाणा एनसीपी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। काजी जिस विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं, वहां एनसीपी का दबदबा है और डॉ. राजेंद्र शिंगणे विधायक हैं। इसलिए बुलढाना जिले में अजित पवार गुट के कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल देखा जा रहा है. 11 विधान परिषद सीटों के लिए 12 जुलाई को मतदान होगा. इस चुनाव का परिणाम उसी दिन घोषित किया जाएगा. चूंकि मतदान गुप्त मतदान से होगा, इसलिए यह देखना होगा कि विधान परिषद चुनाव में महायुति या महाविकास अघाड़ी के वोटों में बंटवारा होगा या नहीं.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अल्पसंख्यक वर्ग की बैठक
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी की अल्पसंख्यक शाखा की बैठक हुई. इस बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि अल्पसंख्यक समुदाय का खोया हुआ विश्वास दोबारा हासिल करने के लिए क्या किया जा सकता है. तब अल्पसंख्यक नेताओं ने पार्टी नेताओं को कुछ बातें सुझाईं. महायुति के नेताओं द्वारा मुस्लिम समुदाय को लेकर लगातार दिए जा रहे आपत्तिजनक बयानों पर अल्पसंख्यक नेताओं ने नाराजगी जताई. साथ ही आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की सरकार की तर्ज पर महाराष्ट्रएनसीपी के अल्पसंख्यक नेताओं ने भी सुझाव दिया था कि अजित पवार को मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने का प्रस्ताव महागठबंधन सरकार के सामने रखना चाहिए.